बाली उमर में लण्ड को सलाम
बाली उमर में लण्ड को सलाम
अब बाली उमर में मेरा दाना मस्तियाने लगा। उमर इतनी भी नहीं थी कि शादी की सोचती ! बड़ी बहनें भी तो थी ! मेरी चूचियाँ कमबख्त मेरी ही चोली की रगड़ से कड़ी हो जाती और कभी मूतने के लिए बैठने पर जब ठंडी हवा चलती तो मेरी बूर रस छोड़ने लग जाती। क्या करूं, कुछ समझ में ही नहीं आता था। हर वक़्त बस केला ही याद आता था। मेरी माँ भी बैरन रोज रात को सिसक-सिसक कर बूर पेलवाती थी और मेरी फड़कती बूर मुझे चिढ़ाती थी। मैने भी सोच लिया कि कुछ रास्ता निकालना पड़ेगा।
एक रोज दोपहर को मुझे मेरी माँ ने पापड़ सुखाने के लिए दिए और कहा- इनको छत पर ठीक से फैला देना, देखना उड़ न जायें, मै पड़ोस में जा रही हूँ, शाम तक आउंगी।
मै पापड़ों को ले कर छत चली गई। दोपहर होने के कारण पड़ोस की सभी छतें खाली थी। हमारी छत में एक किनारे पर एक कमरा हैं जिसमे कबाड़ रहता हैं। मुझे वहाँ से कुछ आवाजें सुनाई दी। मै दबे पांव वहाँ पहुँची तो देखा कि हमारे माली का लड़का वहाँ अपने लण्ड को निकाल कर मसल रहा था और उसके हाथ में एक किताब थी। मै डर गई और दूसरी तरफ जा कर पापड़ सुखाने लगी। कुछ देर में वो वहाँ से निकला और मुझे देख कर जल्दी जल्दी भाग गया। मै कुछ बोल भी नहीं पाई।
उस दिन मेरी बड़ी बहन सोमा ने मुझे बुलाया और मेरे कान पकड़ के दो थप्पड़ लगा दिए। मै कुछ पूछती, इससे पहले उसने कहा- क्यूँ रांड ! छत पर कमल के साथ रंगरलियाँ मन रही थी?
मैने कहा- नहीं, मै तो पापड़ सुखाने गई थी !
तो सोमा ने मुझे फिर लताड़ा और मुझे वो नंगी किताब दिखाई और कहा- यह किताब मुझे कमल ने दी हैं और तेरी शिकायत की हैं कि तूने यह किताब उसे दिखाई और उसका लं… पकड़ा !
यह साफ़ झूठ हैं सोमा ! मैने कुछ नहीं देखा।
“कमीनी … रंडी…”
सोमा ने मुझे बहुत पीटा। मुझे यह समझ नहीं आ रहा था कि साले कुत्ते के बच्चे ने मुझे किताब दिखाई होती तो रंडवे को मुठ मारने की जरुरत नहीं पड़ती…
मैने दोनों से बदला लेने की कसम खा ली।
उसी शाम की बात हैं मै छत पर गई तो उसी कमरे से सोमा के हँसने की आवाज आई…
मै फिर दबे पांव वहाँ पहुंची तो कमल की आवाज भी आई। मैने खिड़की से झाँका तो मजा आ गया।
सोमा ने अपने लहंगे को कमर तक चढ़ा रखा था और कमल खड़े खड़े अपना लण्ड उसकी बूर में पेल रहा था। दोनों मेरे बारे में बातें कर रहे थे।
“साली को मारने में बहुत मजा आता हैं” …स्स्स्स …हया………
“उम्फ़ …… लेकिन दिखती मस्त हैं …” कमल ने एक और चाप मारी…
“तेरे लण्ड को चाहिए क्या उसकी बूर……मादर…स्स्स…आःह्ह…मेरी बूर ………चोद न… हाईईआःह्ह……”
“दिला दे न…… तेरे को रोज चोदूँगा…… “
” भोसड़ी के ……… मेरी मार ले ………उसको तो मै इस गाँव के हर कुत्ते से चुदवाउंगी … रंडी ने हमारी माँ हमसे छीनी हैं……”
मै गुस्से से पागल हो गई और वहीं दरवाजे के सामने खड़े हो कर बोली- तू कौन सा शरीफों वाला काम कर रही हैं…… तेरी फ़ुद्दी नहीं फड़क रही क्या………
सोमा ने मुझे देखा और कमल से बोली- पकड़ इसको………
कमल ने तेजी से लपक के मुझे पकड़ा और घसीट के वहीं पटक दिया……
मै कराह उठी…
फिर सोमा ने कमल से कहा- तू इसकी लेना चाहता था न ……… ले अभी चोद डाल ! इसकी मुनिया को बूर बना दे……
कमल ने मेरी स्कर्ट को खींचा तो वो उतर गई…
मै रोने लगी… मुझे छोड़ दो…… मै किसी से कुछ नहीं कहूँगी ! मुझे जाने दो……
पर सोमा ने मेरे होठों पर अपने होंठ भीच लिए और मेरी जीभ चूसने लगी………
कमल ने भी अपना हाथ तेजी से मेरी चूचियों पर फेरना शुरू किया …
मै हाथ पैर मारने लगी……
तो कमल ने वहीं कबाड़ से एक पुरानी साड़ी उठा कर मेरे दोनों हाथ पीछे करके बाँध दिए…
मेरी कुर्ती को सोमा ने मेरा मुँह दबा के उतार दिया… और मेरी छाती पर बैठ गई……
कमल ने मेरे पैरों को फैला के अपना मुँह मेरी बूर में लगा दिया और जीभ निकाल के फिराने लगा। मेरी बूर तो सोमा की चुदाई देख कर ही पनिया गई थी।
रांड पूरी गर्मी में हैं…… कमल ने सोमा को देख कर कहा जो मेरे होठों को चूसे ही जा रही थी।
चल पेल दे अपना लौड़ा इसकी बूर में……… सोमा ने मुझे देखते हुए कहा।
कमल ने बिना देरी किये अपना सात इंच का मूसल मेरी बूर में रखा और मेरे दाने को रगड़ने लगा।
मैने आँखे बंद कर ली………
फिर कमल ने अपना सुपारा मेरी बूर में घुसाया तो मै मचल गई ……
सोमा ने भी अपनी बूर मेरे मुँह की तरफ कर दी और बोली- चाट इसको रंडी…
मै तो मस्ती में आ गई थी… मैने सोमा की बूर में जीभ चलानी शुरू की……
उधर कमल ने अपना लण्ड मेरी बूर में पूरा पेल दिया……
हाय क्या मजा आया उफ़ सी……हाय……हम्म्म्म……
सोमा भी मेरे चाटने से मस्त हो रही थी- आह्ह क्या चाट रही हैं… कुतिया……… हाय…… कसम से……स्स्स…स्स्स्स…ह़ाह्ह्ह्हह……
उधर कमल मेरी बूर को अपनी पूरी मर्दानगी से चोद रहा था…………… उहम…हम्महाहम्म्म…
पूरा कमरा हम लोगों की बहकती आवाजों से गूँज रहा था……
फिर सोमा मेरे दूध चूसने लगी और कमल कभी मेरी बूर में लण्ड डालता और कभी सोमा की बूर में डालता… मैने भी सोमा को नंगा कर दिया था…… उसके दूध हिलते हुए मस्त लग रहे थे………
तभी कमल ने मेरी बूर में अपना लण्ड डाला और जोर जोर से पेलने लगा……
हायहाय…स्स्सस्स्स्स उम्म्म हाँ चोदो…… मारो मेरी…… फाड़ दो…… हाय…… क्या मजा हैं……स्स्स्स हाय …सोमा…मुझे चुदवा दे……… हर कुत्ते से………… हाय… मै तो मस्त हो गई…
मेरा बड़बड़ाना सुन के सोमा भी मस्तिया गई और जोर जोर से अपनी बूर में ऊँगली चलने लगी…… स हाआआ ………और सोमा झड़ने लगी……… उसने अपनी बूर मेरे मुँह में टिका दी …… मैने उसकी बूर चाट के मस्त कर दी……सोमा अलग हट के मेरी चूची दबाने लगी…
फिर… कमल ने अपनी स्पीड बढ़ाई और मुझे कुचलने लगा…… मैने उसकी गांड को कस के अपनी ओर खींचा…… हया……आःह्ह……
और हम दोनों झड़ने लगे……… वीर्य की गर्म फुहार ने मेरे प्यासे जोबन को मस्त कर दिया…
अब बाली उमर में मेरा दाना मस्तियाने लगा। उमर इतनी भी नहीं थी कि शादी की सोचती ! बड़ी बहनें भी तो थी ! मेरी चूचियाँ कमबख्त मेरी ही चोली की रगड़ से कड़ी हो जाती और कभी मूतने के लिए बैठने पर जब ठंडी हवा चलती तो मेरी बूर रस छोड़ने लग जाती। क्या करूं, कुछ समझ में ही नहीं आता था। हर वक़्त बस केला ही याद आता था। मेरी माँ भी बैरन रोज रात को सिसक-सिसक कर बूर पेलवाती थी और मेरी फड़कती बूर मुझे चिढ़ाती थी। मैने भी सोच लिया कि कुछ रास्ता निकालना पड़ेगा।
एक रोज दोपहर को मुझे मेरी माँ ने पापड़ सुखाने के लिए दिए और कहा- इनको छत पर ठीक से फैला देना, देखना उड़ न जायें, मै पड़ोस में जा रही हूँ, शाम तक आउंगी।
मै पापड़ों को ले कर छत चली गई। दोपहर होने के कारण पड़ोस की सभी छतें खाली थी। हमारी छत में एक किनारे पर एक कमरा हैं जिसमे कबाड़ रहता हैं। मुझे वहाँ से कुछ आवाजें सुनाई दी। मै दबे पांव वहाँ पहुँची तो देखा कि हमारे माली का लड़का वहाँ अपने लंड को निकाल कर मसल रहा था और उसके हाथ में एक किताब थी। मै डर गई और दूसरी तरफ जा कर पापड़ सुखाने लगी। कुछ देर में वो वहाँ से निकला और मुझे देख कर जल्दी जल्दी भाग गया। मै कुछ बोल भी नहीं पाई।
उस दिन मेरी बड़ी बहन सोमा ने मुझे बुलाया और मेरे कान पकड़ के दो थप्पड़ लगा दिए। मै कुछ पूछती, इससे पहले उसने कहा- क्यूँ रांड ! छत पर कमल के साथ रंगरलियाँ मन रही थी?
मैने कहा- नहीं, मै तो पापड़ सुखाने गई थी !
तो सोमा ने मुझे फिर लताड़ा और मुझे वो नंगी किताब दिखाई और कहा- यह किताब मुझे कमल ने दी हैं और तेरी शिकायत की हैं कि तूने यह किताब उसे दिखाई और उसका लं… पकड़ा !
यह साफ़ झूठ हैं सोमा ! मैने कुछ नहीं देखा।
“कमीनी … रंडी…”
सोमा ने मुझे बहुत पीटा। मुझे यह समझ नहीं आ रहा था कि साले कुत्ते के बच्चे ने मुझे किताब दिखाई होती तो रंडवे को मुठ मारने की जरुरत नहीं पड़ती…
मैने दोनों से बदला लेने की कसम खा ली।
उसी शाम की बात हैं मै छत पर गई तो उसी कमरे से सोमा के हँसने की आवाज आई…
मै फिर दबे पांव वहाँ पहुंची तो कमल की आवाज भी आई। मैने खिड़की से झाँका तो मजा आ गया।
सोमा ने अपने लहंगे को कमर तक चढ़ा रखा था और कमल खड़े खड़े अपना लंड उसकी बूर में पेल रहा था। दोनों मेरे बारे में बातें कर रहे थे।
“साली को मारने में बहुत मजा आता हैं” …स्स्स्स …हया………
“उम्फ़ …… लेकिन दिखती मस्त हैं …” कमल ने एक और चाप मारी…
“तेरे लंड को चाहिए क्या उसकी बूर……मादर…स्स्स…आःह्ह…मेरी बूर ………चोद न… हाईईआःह्ह……”
“दिला दे न…… तेरे को रोज चोदूँगा…… “
” भोसड़ी के ……… मेरी मार ले ………उसको तो मै इस गाँव के हर कुत्ते से चुदवाउंगी … रंडी ने हमारी माँ हमसे छीनी हैं……”
मै गुस्से से पागल हो गई और वहीं दरवाजे के सामने खड़े हो कर बोली- तू कौन सा शरीफों वाला काम कर रही हैं…… तेरी फ़ुद्दी नहीं फड़क रही क्या………
सोमा ने मुझे देखा और कमल से बोली- पकड़ इसको………
कमल ने तेजी से लपक के मुझे पकड़ा और घसीट के वहीं पटक दिया……
मै कराह उठी…
फिर सोमा ने कमल से कहा- तू इसकी लेना चाहता था न ……… ले अभी चोद डाल ! इसकी मुनिया को बूर बना दे……
कमल ने मेरी स्कर्ट को खींचा तो वो उतर गई…
मै रोने लगी… मुझे छोड़ दो…… मै किसी से कुछ नहीं कहूँगी ! मुझे जाने दो……
पर सोमा ने मेरे होठों पर अपने होंठ भीच लिए और मेरी जीभ चूसने लगी………
कमल ने भी अपना हाथ तेजी से मेरी चूचियों पर फेरना शुरू किया …
मै हाथ पैर मारने लगी……
तो कमल ने वहीं कबाड़ से एक पुरानी साड़ी उठा कर मेरे दोनों हाथ पीछे करके बाँध दिए…
मेरी कुर्ती को सोमा ने मेरा मुँह दबा के उतार दिया… और मेरी छाती पर बैठ गई……
कमल ने मेरे पैरों को फैला के अपना मुँह मेरी बूर में लगा दिया और जीभ निकाल के फिराने लगा। मेरी बूर तो सोमा की चुदाई देख कर ही पनिया गई थी।
रांड पूरी गर्मी में हैं…… कमल ने सोमा को देख कर कहा जो मेरे होठों को चूसे ही जा रही थी।
चल पेल दे अपना लौड़ा इसकी बूर में……… सोमा ने मुझे देखते हुए कहा।
कमल ने बिना देरी किये अपना सात इंच का मूसल मेरी बूर में रखा और मेरे दाने को रगड़ने लगा।
मैने आँखे बंद कर ली………
फिर कमल ने अपना सुपारा मेरीयब बूर में घुसाया तो मै मचल गई ……
सोमा ने भी अपनी बूर मेरे मुँह की तरफ कर दी और बोली- चाट इसको रंडी…
मै तो मस्ती में आ गई थी… मैने सोमा की बूर में जीभ चलानी शुरू की……
उधर कमल ने अपना लंड मेरी बूर में पूरा पेल दिया……
हाय क्या मजा आया उफ़ सी……हाय……हम्म्म्म……
सोमा भी मेरे चाटने से मस्त हो रही थी- आह्ह क्या चाट रही हैं… कुतिया……… हाय…… कसम से……स्स्स…स्स्स्स…ह़ाह्ह्ह्हह……
उधर कमल मेरी बूर को अपनी पूरी मर्दानगी से चोद रहा था…………… उहम…हम्महाहम्म्म…
पूरा कमरा हम लोगों की बहकती आवाजों से गूँज रहा था……
फिर सोमा मेरे दूध चूसने लगी और कमल कभी मेरी बूर में लंड डालता और कभी सोमा की बूर में डालता… मैने भी सोमा को नंगा कर दिया था…… उसके दूध हिलते हुए मस्त लग रहे थे………
तभी कमल ने मेरी बूर में अपना लंड डाला और जोर जोर से पेलने लगा……
हायहाय…स्स्सस्स्स्स उम्म्म हाँ चोदो…… मारो मेरी…… फाड़ दो…… हाय…… क्या मजा हैं……स्स्स्स हाय …सोमा…मुझे चुदवा दे……… हर कुत्ते से………… हाय… मै तो मस्त हो गई…
मेरा बड़बड़ाना सुन के सोमा भी मस्तिया गई और जोर जोर से अपनी बूर में ऊँगली चलने लगी…… स हाआआ ………और सोमा झड़ने लगी……… उसने अपनी बूर मेरे मुँह में टिका दी …… मैने उसकी बूर चाट के मस्त कर दी……सोमा अलग हट के मेरी चूची दबाने लगी…
फिर… कमल ने अपनी स्पीड बढ़ाई और मुझे कुचलने लगा…… मैने उसकी गांड को कस के अपनी ओर खींचा…… हया……आःह्ह……
और हम दोनों झड़ने लगे……… वीर्य की गर्म फुहार ने मेरे प्यासे जोबन को मस्त कर दिया…
कमल मेरे ऊपर लुढ़क गया… मै उसके बालों से खेलते हुए उसके लंड को सहलाने लगी…………
और सोच रही थी कि सोमा को गाली दूं या……उसकी बूर चूम लूँ…………
कमल मेरे ऊपर लुढ़क गया… मै उसके बालों से खेलते हुए उसके लण्ड को सहलाने लगी…………
और सोच रही थी कि सोमा को गाली दूं या……उसकी बूर चूम ल
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